उत्तराखंड की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। सामान्य भाषा में इसे बच्चेदानी के मुंह के संक्रमण से होने वाली बीमारी कहा जाता है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 2023 में 2768 महिलाएं इस कैंसर ग्रसित पाई गईं। इनमें से आधे से ज्यादा कुमाऊं क्षेत्र की बताई गईं हैं।
पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण इस बीमारी से जूझ रही मरीजों को हल्द्वानी, दिल्ली समेत अन्य नगरों की दौड़ लगानी पड़ रही है। गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं के कैंसर के नाम से जानी जाने वाली इस बीमारी को एचपीवी संक्रमण से जोड़ा जाता है। सही समय पर इलाज न मिलने से कई बार मरीज की मौत भी हो जाती हैं।
महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमा रावत ने बताया कि एचपीवी परीक्षण के माध्यम से सर्वाइकल कैंसर का पता प्रारंभिक (प्री-कैंसर) अवस्था में लगाया जा सकता है। इससे बचाव संभव है। बताया कि 9-14 और 15-45 की उम्र में एचपीवी का टीकाकरण करवाकर सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है। इसमें कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी से इलाज होता हैं।
लक्षण क्या है
पेट के निचले हिस्से में दर्द, असामान्य रूप से भारी माहवारी, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और पैरों में सूजन, पेशाब में परेशानी आदि।
एचपीवी टीकाकरण की सुविधा नहीं
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, एचपीवी का टीकाकरण वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है लेकिन सरकार इस पर काम कर रही है। यह कुछ निजी अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स में उपलब्ध है, जिसकी कीमत करीब 10,000 रुपये है। किशोरियों को दो और वयस्क महिलाओं को तीन डोज दी जाती हैं।