खिलाड़ियों को खिलाने के लिए सरकार के पास बजट नहीं

पिथौरागढ़। खिलाड़ियों को खिलाने के लिए सरकार के पास बजट नहीं है। जिला मुख्यालय में आयोजित जनपदीय विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता में शामिल होने पहुंचे जिले के आठों विकासखंड के 450 से अधिक विद्यार्थियों को न तो खाना नसीब हुआ और न पीने के लिए पानी। बेहतर भविष्य की उम्मीद में पहुंचे विद्यार्थी चिलचिलाती धूप में भूखे-प्यासे रहकर अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मजबूर हुए।

दरअसल जिला मुख्यालय के जीआईसी खेल मैदान में गुरूवार को जिला स्तरीय विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। जिले के आठों विकासखंडों से 20 से 120 किमी का सफर तय कर 14 से 19 वर्ष के 450 से अधिक छात्र-छात्राएं बेहतर प्रदर्शन कर खेलों में अपना भविष्य बनाने के साथ ही प्रदेश और देश का नाम रोशन करने का सपना लिए जिला मुख्यालय पहुंचे। खिलाड़ियों के लिए न तो भोजन की व्यवस्था थी न तो पीने के पानी की। बदन जलाने वाली गर्मी में नौनिहालों को भूखे-प्यासे रहकर अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मजबूर होना पड़ा। विद्यार्थियों को खेलों से जोड़कर उनका भविष्य बनाने के दावे कर इसके लिए करोड़ों का बजट खर्च किया जा रहा है। हैरानी है कि नौनिहालों के खाने के लिए बजट की व्यवस्था तक नहीं है। इस अनदेखी के चलते विद्यार्थी भूखे पेट खेलते हुए घर लौटना पड़ा
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जीआईसी के खेल मैदान में पूरे दिन खिलाड़ी भूखे पेट पसीना बहाते रहे। पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं मिली। नौनिहालों को चटख धूप में अपनी प्यास बुझाने के लिए हैंडपंपों का सहारा लेना पड़ा। वहीं कई विद्यार्थियों ने चने खाकर अपनी भूख मिटाई। मुनस्यारी, धारचूला, गंगोलीहाट, बेड़ीनाग सहित अन्य विकासखंडों से लंबा सफर तक कर विद्यार्थी जिला मुख्यालय पहुंचे। उन्हें खुले आसमान के नीचे चटख धूप के बीच खेलना पड़ा। भूख और प्यास से कई बच्चे बेहोश हो गए। किसी तरह खेल समन्वयकों और साथियों ने उन्हें संभाला। खेल समन्वयकों ने बताया कि खिलाड़ियों को उनके विद्यालयों से जिला मुख्यालय लाने के लिए बजट की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में छात्र-छात्राओं को किराए के लिए अभिभावकों से पैसे मांगकर जिला मुख्यालय पहुंचना पड़ा। यहां से घर लौटने के लिए भी उन्होंने किराया चुकाया।

 

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