प्रदेश में लखपति दीदी का आंकड़ा एक लाख पार

Lakhpati Didi one lakh women in Uttarakhand became Lakhpati Didi extended their hand in entrepreneurship

– डिजिटल लेनदेन की भी दे रही हैं सेवाएं

  • उद्यमिता के क्षेत्र में हाथ बढ़ाने से प्रदेश में एक लाख से ज्यादा महिलाएं लखपति दीदी बन गईं।
  • महिलाओं ने कृषि उत्पादों, दुग्ध उत्पादन, सिलाई कढ़ाई के साथ ही रसोई गैर वितरण, प्रारंभिक पशु चिकित्सा सेवा, बीमा योजना, डिजिटल लेनदेन को आजीविका से जोड़ा है।
  • प्रदेश सरकार ने 2026 तक 2.50 लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में पहली बार लखपति दीदी का आंकड़ा एक लाख पार हो गया है।
प्रदेश सरकार ने 2026 तक 2.50 लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में पहली बार लखपति दीदी का आंकड़ा एक लाख पार हो गया है।
ग्राम्य विकास विभाग के माध्यम से महिलाओं को उद्यमिता के लिए क्षमता विकास का प्रशिक्षण देने के साथ ही उत्पादों की मार्केटिंग, पैकेजिंग, ब्रांडिंग में सहायता दी जा रही है। लखपति बनने के लिए महिलाओं ने स्थानीय मोटे अनाजों, फलों का मूल्य संवर्द्धन कर विभिन्न उत्पाद बनाए हैं। इसके लिए कई महिलाओं ने दुग्ध उत्पादन को आजीविका के रूप में अपनाया।

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सचिव ग्राम्य विकास विभाग राधिका झा ने कहा कि गांवों में रसोई गैस वितरण, पशु चिकित्सा के लिए प्रारंभिक सेवाएं, बीमा योजना, डिजिटल लेनदेन का काम भी महिलाओं ने संभाला है। इस कार्य से उन्हें कमीशन के रूप में आय प्राप्त हो रही है। प्रदेश में एक लाख से अधिक महिलाएं लखपति दीदी बन गईं है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। इस योजना से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं उद्यमिता के क्षेत्र में आगे आकर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहीं है। महिलाओं को अपना कारोबार शुरू करने के लिए हरसंभव सहयोग दिया जा रहा है। 
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2,114 महिलाएं बनीं डीजी पे सखी

ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं डीजी पे सखी के रूप में 1512 गांवों में डिजिटल लेनदेन की सेवाएं दे रही हैं। इन महिलाओं ने 196.50 करोड़ का लेनदेन किया। इससे उन्हें 5.89 लाख का कमीशन मिला। इसके अलावा 176 महिलाएं पशु सखी के रूप में पशुओं को प्राथमिक उपचार और बीमा कराने की सेवाएं दे रही हैं। साथ ही 109 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं एचपी सखी के रूप में रसोई गैस वितरण का कार्य कर रही है। इससे उन्हें प्रति माह पांच से छह हजार की अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही हैं।

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