उत्तराखंड का कोई जिला ऐसा नहीं बचा है जहां गुलदार का आतंक देखने को नहीं मिल रहा. पिछले कई समय से दिन में गुलदार का आतंक इतना बढ़ गया है की लोग दहसत में जीने को मज़बूर है । ग्रामीण इलाको में गुलदार दिन में ही मवेशियों को अपना शिकार बना रहा है। वही शाम होते ही घरों के पास आ जा रहा है। जिससे ग्रामीणों में दहशत है। ग्रामीण शाम होते ही घरों में दुबक जा रहे हैं। गुलदार अब तक कई मवेशियों को अपना निवाला बना चुका है। कई बार गुलदार सुबह ही घरों के आंगन में आ धमक रहा है।जिससे ग्रामीण बाहर भी नहीं निकल पा रहे हैं। दहसत इस कदर बढ़ गयी है कि ग्रामीण चारापत्ती व अपने अन्य कार्यों के लिए खेतों में नहीं जा रहे हैं। आप भी जानिए कि गुलदार के हमले से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना होगा…
—– केवल सावधानी से ही बचा जा सकता है.
—– अपने घर के चारों ओर कम से कम 50 से 100 मीटर तक लैंटाना, काला बांस, हिस्सर, गाजर घास न उगने दें. इन झाड़ियों में अक्सर गुलदार छुप जाता है और मौका मिलने पर हमला कर सकता है.
—– ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल जाते समय बच्चों को किसी वयस्क व्यक्ति के साथ स्कूल भेजें और यदि संभव हो तो बच्चों को समूह में स्कूल भेजना चाहिए.
—– आवागमन के लिए ऐसे रास्तों का प्रयोग करें जहां पर झाड़ियां अपेक्षाकृत कम हैं. संभव हो तो रास्ते के दोनों तरफ झाड़ियों को काटकर साफ कर दें.
—– महिलाएं जब जंगलों में जाएं तो कोशिश करें कि शाम 4 बजे से पहले घर लौट आएं. 4 बजे से अंधेरा होने तक गुलदार के हमले की घटनाएं ज्यादा होती हैं। कोशिश करे की खेतो में समूह में जाए ।
—– शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक बच्चों को घर से बाहर न जाने दें. उन्हें होमवर्क पर लगाने या किसी अन्य काम में घर के भीतर ही व्यस्त रखें क्योंकि ऐसे समय में गुलदार शिकार की तलाश में अक्सर घरों के आसपास घूमते हैं.
—– बच्चों को घर के बाहर शौचालय में रात के समय अकेले न जाने दें.
—– गुलदार का व्यवहार पीछे से आक्रमण करने का है. इसलिए घर के बाहर मुकुटों का प्रयोग करें जो पीछे की तरफ मुख करके हों.
—– कोई भी महिला गाय और भैंस का दूध निकालने हेतु बच्चों को लेकर के न जाए.
—– खेतों में जाते समय महिलाएं कोशिश करें कि वह समूह में जाएं और काम करते समय बारी-बारी से पांच 5 मिनट में खड़े होकर इधर-उधर ज़रूर देखें. आमतौर पर देखा गया है कि सामने निगाह होने गुलदार हमला नहीं करता.
—– गुलदार द्वारा रात में हमला किए जाने की पूरी संभावना बनी रहती है. विशेषकर शाम 6 बजे से 8 बजे के बीच गुलदार ज़्यादा हमला करता है. इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. टॉर्च या किसी अन्य रोशनी में ही घर से बाहर निकलें. अंधेरा होने के बाद घर के बाहर काम हो तो आग जलाकर रखें.
—– जंगली जानवरों का शिकार न करें. गुलदार और बाघ को अगर जंगल में शिकार नहीं मिलता तो वह भोजन की तलाश में आबादी के इलाके में आ जाते हैं.
—– जंगलों को आग से बचाएं क्योंकि आग लगने की स्थिति में गुलदार और बाघ का भोजन बनने वाले छोटे-छोटे जानवर इसका शिकार होते हैं और अपने भोजन की तलाश में गुलदार और बाघ आबादी की तरफ आ जाते हैं.
—– आबादी के इलाके में गुलदार देखने पर तुरंत वन विभाग को सूचित करें.
—– घर में पाले गए पालतू पशुओं के मरने पर उनके शरीर को खुले में न फेंकें क्योंकि ऐसे मांस की तलाश में गुलदार आपके घर के करीब आ सकता है.